"मेरे अल्फ़ाज़"

गलती मेरी थी, सज़ा भी मैंने पाई,
अब क्यों माँगते हो माफ़ी, ये बात समझ न आई।

अपनी पहचान मुझे परिवार से मिली है,
उनकी खुशियों के लिए ही मेरी ज़िंदगी ढली है।

मैं उनसे बेपनाह मोहब्बत करती हूँ,
उनके लिए हर दर्द सहकर भी हँसती हूँ।

अब मुझे अकेला छोड़ दो, यही है मेरी चाह,
तुम अपने भविष्य पर ध्यान दो, यही है सच्ची राह।

मेरी पहली प्राथमिकता हमेशा मेरा परिवार है,
उनसे ही मेरी पहचान, उनसे ही मेरा संसार है।

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