नई दुनिया मुजस्सम दिलकशी मालूम होती है मगर इस हुस्न में दिल की कमी मालूम होती है हिजाबों में नसीम-ए-ज़िंदगी मालूम होती है किसी दामन की हल्की थरथरी मालूम होती है मिरी रातों की ख़ुनकी है तिरे गेसू-ए-पुर-ख़म में ये बढ़ती छाँव भी कितनी घनी मालूम होती है वो अच्छा था जो बेड़ा मौज के रहम ओ करम पर था ख़िज़र आए तो कश्ती डूबती मालूम होती है ये दिल की तिश्नगी है या नज़र की प्यास है साक़ी हर इक बोतल जो ख़ाली है भरी मालूम होती है दम-ए-आख़िर मुदावा-ए-दिल-ए-बीमार क्या मअ'नी मुझे छोड़ो कि मुझ को नींद सी मालूम होती है नसीम-ए-ज़िंदगी के सोज़ से मुरझाई जाती है ये हस्ती फूल की इक पंखुड़ी मालूम होती है दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है चले आओ जहाँ तक रौशनी मालूम होती है जिधर देखा 'अरकान' इक आलम-ए-दीगर नज़र आया मुसीबत में ये दुनिया अजनबी मालूम होती है
😊 मोहब्बत 😍 माना तेरी सुन्दरता मे खोना चाहता हुँ बस दो पल तेरा होना चाहता हुँ तेरे सीन पर सर रख सोना चाहता हुँ तु हा कर या ना कर बस तर होन चाहता हुँ तु बिलकुल चाँद की तरह है चहरे पर दाग है पर नुर मे कोई कमी नहीं लोग तुम से जलते है पर क्या सच मे इस चहरे का कोई सुरूर नहीं तुझ से मिल ने से पहले नशा नही करता था अब तेरी आँख से हर रोज नशा करता हुँ मुझे लग दुनिया मे सब से रेशमी रेशम होता है पर मे गलत था तेरी झुलफो से रेशम कुछ नहीं मै नही चाहता इस नुर का गुरूर कम हो जाए तुम चाँद और मै तारा बन जाओ दुर से सब देखे तुम्हें पर पास से देख ने का हक सीरफ हमारा हो जाए ~Arkan
अज़ाब और सबब" अज़ाब देकर इतने तू अजब की बात करता है, मेरी बेरुख़ी के हनूज़ सबब की बात करता है। हलफ़-ए-वफ़ा उठाकर भी बेवफ़ाई कर डाली शौंक से, देखो तो गुनाहगार फिर भी रब की बात करता है। इश्क़ कोई चराग़ तो नहीं कि जब चाहा जला दिया, सियाह कर के ज़िन्दगी, रौशन शब की बात करता है। इश्क़ की फिर वही ज़ंजीरें लिए चला है मेरी तरफ़, यक़ीं कैसे करूँ मैं, अरे तू ग़ज़ब की बात करता है। "कीर्ति" वो और थी जो बेइंतहा फ़िदा थी तुम पर, गुज़र चुका वो ज़माना, अरे तू कब की बात करता है।
✨ मोहब्बत पर शायरी ✨ “तेरी धड़कनों से ही मेरी पहचान है, तेरे बिना तो ये दिल बिलकुल सुनसान है। तू मिले तो हर दर्द भी आसान लगता है, तेरे बिना जीना अब नामुमकिन सा अरमान है।” “तेरी आँखों में एक जादू सा छुपा है, तेरी हर मुस्कान दिल को छू जाती है। तू पास हो तो दुनिया स्वर्ग जैसी लगती है, तू दूर हो तो ज़िन्दगी अधूरी लगती है।”
💔 इमोशनल शायरी 💔 तेरे बिना दिल को चैन कहाँ आता है, तेरे बिना तो कोई ख्वाब भी अपना नहीं लगता। रातें लंबी हो जाती हैं तेरी यादों में, नींद भी तेरी तलाश में भटक जाती है। तू साथ हो तो हर दर्द छोटा लगता है, तू दूर हो तो ज़िन्दगी अधूरी लगती है। कितनी दुआएँ कीं तुझे पाने के लिए, पर किस्मत ने शायद और ही कहानी लिख दी। अब तो बस तेरी यादों से ही जीते हैं हम, वरना ये दिल धड़कना भी भूल जाता है।
🌟 Motivational Shayari 🌟 हौसले वो चाबी हैं, जो किस्मत के ताले खोल देती हैं, मुश्किलें चाहे कितनी भी हों, मंज़िल का रास्ता बता देती हैं। गिरना-उठना तो इंसान की फितरत है, पर जो हार न माने वही असली जीत का हक़दार है। थककर रुक जाना आसान है, पर चलते रहना ही ज़िन्दगी का असली इम्तिहान है। सपने तभी पूरे होते हैं, जब नींद से पहले नहीं, मेहनत से जागे जाते हैं।
❤️ Love Shayari in Hindi | दिल को छू लेने वाली मोहब्बत शायरी ❤️ प्यार वो अहसास है जो ज़िन्दगी को नई दिशा देता है। कभी ये आँखों से आँसू बनकर निकलता है, तो कभी मुस्कान बनकर होंठों पर सजता है। सच्चा प्यार इंसान को पूरा बना देता है और उसके हर लम्हे को खास बना देता है।
🌹 मम्मी–पापा के नाम 🌹 माँ और पापा… ये दो ऐसे शब्द हैं जिनमें पूरी दुनिया समा जाती है। माँ वो है जो हर सुबह हमें उठाती है, और पापा वो हैं जो हमारी नींद पूरी करने के लिए चुपचाप अपने ऑफिस देर से निकलते हैं। माँ की ममता में पूरा सागर छुपा होता है, और पापा के त्याग में पूरी पहाड़ जैसी मजबूती। माँ अपने हिस्से का निवाला छोड़ देती है, पापा अपने हिस्से की ख्वाहिशें दबा देते हैं। माँ हर आंसू को अपने आँचल से पोंछ देती है, पापा हर आंसू बनने से पहले ही हालात बदल देते हैं। माँ की लोरी सबसे मीठा गीत है, पापा की डांट भी सबसे गहरा प्यार है। माँ घर को मंदिर बना देती है, पापा घर को किला बना देते हैं। माँ अपने आँचल में पूरा आसमान दे देती है, पापा अपने कंधों पर पूरी दुनिया उठा लेते हैं। माँ की ममता में भगवान दिखता है, पापा की चुप्पी में त्याग छुपा होता है। माँ हमें बोलना सिखाती है, पापा हमें दुनिया से लड़ना सिखाते हैं। माँ की दुआएँ हर मुश्किल से बचा लेती हैं, पापा की मेहनत हर ख़्वाब को पूरा कर देती है। माँ हमें मासूम रखती है, पापा हमें मज़बूत बना देते हैं। माँ कभी थकती नहीं, पापा कभी रुकते नहीं। मा...
कभी सोचा है…हम कौन हैं क्या हैं, किधर हैं, क्यूँ हैं हर वक़्त भाग रहे हैं हम किसी और के जैसा बनने के लिए अपने जैसा बनने में अपने दिल की सुनने में पता नहीं कौन सा डर है हमें जिसके साथ ख़ुश हैं उसके साथ होते नहीं जो पाना चाहते हैं वो मिलता नहीं हर वक़्त ख़ुद से जाने कितने समझौते करते हुए जिये जा रहे हैं अपने ही भीतर की आवाज़ को अनसुनी कर बाहर के शोर में ख़ुद को खोते चले जा रहे हम सबके लिए और सबके हिसाब से जीते जी सबके जैसे बनने की होड़ में ख़ुद को ही मारते जा रहे हम कौन है हम वास्तव में क्या चाहते हैं हम ? क्या ये सवाल ख़ुद से कभी करते हैं हम ? शायद नहीं… क्यूँकि ख़ुद के भीतर झांक कर देखना ही नहीं चाहते हम अपनी ही सच्चाई से डरते हैं हम दुनिया के इस बने बनाए ढाँचे में ख़ुद को कैसे भी करके फ़िट करते हम ll ..... ✍️
"मौसम-ए-दिल" यूँ अबस ही हताशियों में न डूब ऐ दिल, तो क्या हुआ अगर ये चश्म तर-बतर है। थाम ले पलकों पे कुछ उजली सी उम्मीदें, मौसम-ए-दिल भी इन दिनों सारा तरो-तर है। रख सलीक़ा-ए-ज़िन्दगी ज़रा हँस के भी, वरना हर राह सिर्फ़ अश्कों का सफ़र है। कीर्ति’ भी ढूँढ लेगी उजाला इन अँधेरों में, रौशनी ढूँढना ही तो जीने का हुनर है।