"क्या फिर अकेला रहना होगा" शायरी

क्या फिर से मुझे अकेला रहना होगा,
तुम्हारी यादों के सहारे जीना होगा । 

क्या फिर से मुकर जाओगे अपने वादों से,
मुझे उन वादों को तुम्हे याद दिलाना होगा । 

क्या फिर से छोड़ जाओगे तन्हां तुम,
मुझे उस ख्वाबों की दुनिया को तोड़ना होगा । 

क्या फिर से मजबूरियों का बहाना दोगे तुम,
क्या मुझे मेरे दिल को मुसलसल जलते देखना होगा । 

क्या फिर से तुम्हे कोई और मिल गया है...?
अब तुम्हे मुझसे नज़रे मिलाने से डरना होगा । 

क्या फिर से आओगे दिल तोड़ मेरा उसपे मरहम लगाने,
अब तुम्हे मेरे बरबादी का तमाशा दूर से ही देखना होगा । 

क्या फिर से क्षमा मांग के मुझसे रिश्ता रखना चाहते हो,
मैं तुम्हें माफ़ कर दू ये मुझसे ना होगा,
तुम दूर भाड़ में जाओ यही सबसे बेहतर होगा !!

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